जब RBI ने ब्याज दरें नहीं बढ़ाईं, तो फिर क्यों महंगे हो रहे हैं Loan, जानिए क्या हो सकती है वजह
अगर रेपो रेट में बदलाव नहीं हुआ है तो इसका क्या मतलब हुआ? इसका एक सीधा सा मतलब तो यही है कि अभी बैंकों की तरफ से ब्याज दरें नहीं बढ़ाई जाएंगी, लेकिन हुआ इसका उल्टा. अगले ही दिन कई बैंकों ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी. सवाल है कि क्यों?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से गुरुवार को रेपो रेट (Repo Rate) की जानकारी दी गई. इस बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है और रेपो रेट को जस का तस रखा गया है. मौजूदा वक्त में रेपो रेट 6.5 फीसदी पर है. अब जरा सोचिए अगर रेपो रेट में बदलाव नहीं हुआ है तो इसका क्या मतलब हुआ? इसका एक सीधा सा मतलब तो यही है कि अभी बैंकों की तरफ से ब्याज दरें नहीं बढ़ाई जाएंगी, लेकिन हुआ इसका उल्टा. अगले ही दिन कई बैंकों ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी. सवाल है कि क्यों?
इन 3 सरकारी बैंकों ने बढ़ाई ब्याज दरें
सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों ने ग्राहकों को बड़ा झटका दिया है. बीओबी (BOB) ने शेयर बाजार को बताया कि एक साल की एमसीएलआर (MCLR) को संशोधित कर 8.70% किया गया है. यह अभी 8.65% है. नई दरें 12 अगस्त से प्रभावी होंगी. केनरा बैंक (Canara Bank) ने भी एमसीएलआर में 0.05% की बढ़ोतरी की है. यह अब बढ़कर 8.70% हो गई है. नई दर 12 अगस्त से प्रभावी होगी. बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BOM) ने एमसीएलआर (MCLR) में 0.10% की बढ़ोतरी की है. इसके साथ ही एक साल की एमसीएलआर 8.50% से बढ़कर 8.60% हो गई है. संशोधित दरें 10 अगस्त से प्रभावी हैं. इसके अलावा एक्सिस बैंक ने भी एफडी की ब्याज दरों में 10 बेसिस प्वाइंट तक का इजाफा किया है.
डिमांड-सप्लाई मिसमैच हो सकती है वजह!
ब्याज दरें बढ़ने की एक बड़ी वजह ये है कि डिमांड बढ़ गई है, लेकिन सप्लाई लिमिटेड ही है. ऐसे में इसे बढ़ी हुई डिमांड का फायदा उठाने के लिए कुछ बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं. बैंकों ने MCLR की दर बढ़ाई हैं, जिससे MCLR से जुड़े हुए लोन की ब्याज दरें बढ़ेंगी. रेपो रेट से जुड़े लोन की ब्याज दरों पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा. जिन बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं, उनमें MCLR से जुड़े लोन की ईएमआई बढ़ेगी, ना कि रेपो रेट से जुड़े लोन की ईएमआई, क्योंकि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
लोन की अवधि और ईएमआई को लेकर बनेगी गाइडलाइन
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जल्द ही भारतीय रिजर्व बैंक ईएमआई को लेकर एक गाइडलाइंस ला सकता है. इसके तहत बैंकों की तरफ से ग्राहकों को लोन की अवधि और ईएमआई के बारे में साफ-साफ जानकारी देनी होगी. तमाम तरह के शुल्क की जानकारी भी देनी होगी. देखा गया है कि बैंक ग्राहकों को न तो ये बताते हैं कि रेट बढ़ाने का उनकी ईएमआई पर क्या असर होगा, ना ही उन्हें लोन रीसेट का विकल्प देते हैं. जल्द ही लोन की अवधि और ईएमआई को लेकर रिजर्व बैंक कुछ गाइडलाइंस ला सकता है, जिससे ग्राहकों को काफी फायदा होगा.
01:33 PM IST